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कविता: सौदा (डॉ• निशा पारीक, जयपुर, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉनिशा पारीक की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सौदा”:

नेह का  सौदा है  दुनिया,

प्रेम   का  अभिशाप   है |

दूरियाँ  मन में है  लेकिन,

रिश्तो   का   आगाज  है ||

 

खुद  सँभाले  बढ़के  पहले,

अधिक  मनुहार  दुनिया  है|

खुद ही  तोडे साथ सुहाना,

खुद  गर्जी  ये   दुनिया  है ||

 

ऑसू मिलते सच्चे ह्रदय को,

बेदर्दी   आनन्द   मनाते   है |

तोड  किसी का साथ पल में,

नयी    दुनिया    सजाते   हैं||

 

खुश किस्मत ह्रदय बिन इंसा,

रोज   बिछडते    मिलते    है |

मातम   में   मिलते  है   ऐसे,

जैसे   खुशी   की   रात    है ||

 

दर्द  ह्रदय  का छुपा सका तू,

दर्द    नहीं   वो    सच्चा   है |

जीवन  देकर  प्रेम  सँभाले,

वही  एक  रिश्ता पक्का  है ||