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कविता: जय जय सीताराम (सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार सीमा गर्ग मंजरी  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “जय जय सीताराम”:
 
 
रघुवर राजा राम दुलारे अयोध्या के नैनों के तारे,
दशरथनदंन राजाराम जनमन को प्राणों से प्यारे !
 
आज विराजै रघुराई चहुँदिशि आनन्द रस छलकाई,
सखियाँ झूमें मंगल गाई अवधपुरी में रंगी बहारें छाईं !
 
भूमिपूजन शिलान्यास आज अवध फैली उजास,
परम पुनीत मंगल घडियाँ याद रखेगा ये इतिहास !
 
चांद दिवाकर धरा व्योम में हर्ष अपार छाये है,
सुर बाला अप्सरा नाचे देव दुन्दुभि बजाये है !
 
अमृत निर्झर बूँदे झरती वसुधा के कष्ट हरेंगे राम,
सोम सुधा रस बरस रहा मुदितमन है अयोध्या धाम !
 
दीप जलाओ मंगल गाओ ब्रह्म अगोचर आये है,
रामराज आयेगा सुखदायी मन में आस बंधाये हैं!
 
केसर कस्तूरी भरो तलैया दधि हल्दी की धूम मचाओ,
रंग रंगीली रंगोली से मंगल कलश घर द्वारे सजाओ !
 
लड्डू बर्फी पेड़ा मेवे भर भर बाटों मिठइयाँ जी,
इत्र फुलेल चोबा अगरजा महका दो घर अंगना जी !
 
पांच सदी के बाद खिली है नेह की सुकृत चांदनी धूप,
सच्चिदानन्द सत्य अलौकिक सजा दिव्य रूप अनूप !
 
कोटिन कामदेव लजाये झांकी सीताराम की,
मंगल शुचि पावन नाम जय जय सीताराम जी !!