पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस● के● कपूर "श्री हंस" की एक कविता जिसका शीर्षक है “यह सच्ची दोस्ती, इक बेशकीमती दौलत है जहान की”:
ये दिल से निकले आशार हैं
इन्हें आरपार जाने दो।
हम तेरी दोस्ती के हकदार हैं
हमें प्यार पाने दो।।
तेरी सच्ची दोस्ती एक नेमत
जो हमने पाई है।
अपने रंजो गम भी बेफिक्र
हम तक आने दो।।
लंबी नहीं होती।
दोस्ती जो होती सच्ची कभी
दंभी नहीं होती।।
दो जिस्म एक जान मानिये
सच्ची दोस्ती को।
ऐसी दोस्ती जानिये कभी
घमंडी नहीं होती।।
गर्व होता है।
एक को लगे चोट दूसरे को
दर्द होता है।।
इक सोच इक नज़र इक नज़रिया
है बन जाता।
मैं नहीं वहाँ पर सिर्फ हम का ही
हर्फ होता है।।
विश्वास होता है।
इस सच्ची दौलत में बसआपस का
आस होता है।।
ढूंढते बस अच्छाई ही बुराई की तो
बात होती नहीं।
गर भीग जाये एक तो फिर दूसरा
लिबास होता है।।