पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद
पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल
फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत
है। आज
आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार महेन्द्र सिंह 'राज' की एक कविता जिसका
शीर्षक है “राधा का नाम होगा”:
यमुना किनारे आके मुझको पुकारे राधा,
मैं हूं तेरी आधी अरु तूं है मेरा आधा।
कब तक छिपा रहेगा ग्वालों के बीच में,
कर में मुरली लेकर आ जाओ मेरे कांधा।।
नहीं बनूंगी जीवन में तेरे कभी भी बाधा।
लगता तेरा मन गैया अरु ग्वाल बाल में,
ग्वालों का मन है लगता जसुदा के लाल में।।
कपड़े से बनी कन्दुक लेकर के हाथ में ।
आगे आगे गैय्या पीछे हैं चलते ग्वाले,
उसके हैं पीछे चलते मुरली बजाने वाले।।
मैं हार रही अपने जीवन के जंग में ।
कब तक तेरे विरह में तडपूंगी इस तरह,
शादी रचेगा भग के तूं रुक्मिणी के संग में।।
शादी हुई न तुमसे इसका नहीं है गम।
रहलो रुक्मिणी संग उनकाभी श्याम होगा,
तेरे संग रुक्मिणी नहीं राधा का नाम होगा।।