पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पुनीत गोयल की एक कविता जिसका
शीर्षक है “प्यार”:
बहुत प्यारा है ये प्यार,
मगर लोगों ने लिया व्यापार,
हर कोई देख रहा
बस जिस्म,
बना लिया इसको
खिलवाड़,
ये एक रात का
नहीं,
जन्मों का जुड़ता
है तार,
इस कदर बदली सोच
लोगों की
कि ये एक रात का बन गया प्यार,
हम सभी यही है
कहते
हम देते हैं बच्चों को अच्छे संस्कार,
फिर क्यों नौजवान
जा रहे हैं बीच अंधकार
कमी हम में ही है जी
शायद हम खुद नहीं समझदार
प्यार शब्द ही ख़त्म हो गया
बन गया ये देह व्यापार
मिलकर करनी होगी कोशिश
प्यार को बनाना पड़ेगा प्यार
खुद को बदलना सीख लो पुनीत
शायद आने वाले समय में बच जाए ये प्यार।
बहुत प्यारा है ये प्यार,
मगर लोगों ने लिया व्यापार,
कि ये एक रात का बन गया प्यार,
हम देते हैं बच्चों को अच्छे संस्कार,
कमी हम में ही है जी
शायद हम खुद नहीं समझदार
प्यार शब्द ही ख़त्म हो गया
बन गया ये देह व्यापार
मिलकर करनी होगी कोशिश
प्यार को बनाना पड़ेगा प्यार
खुद को बदलना सीख लो पुनीत
शायद आने वाले समय में बच जाए ये प्यार।