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कविता: कलियुगी प्रेत (वर्तिका अग्रवाल, वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार वर्तिका अग्रवाल की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कलियुगी प्रेत”:
 
धर्म के नाम पर
सबसे बड़े अधर्मी।
सत्यता के नाम पर
सबसे बड़े असत्य अनुरागी।
सत्संग के नाम पर
सबसे बड़े दुराचारी।
विश्वास के नाम पर
सबसे बड़े ढोंगी।
ईश्वर के नाम पर
बने सबसे बड़े झूठे जोगी।
कर्मयोगी के नाम पर
सबसे बड़े माया भोगी।
बैरागी के नाम पर
सबसे बड़े रागी।
भक्ति के नाम पर
धारण दिखावटी माला- कंठी।