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कविता: लड़कियाँ (प्रियंका कटारे 'प्रिराज', ग्वालियर, मध्य प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रियंका कटारे 'प्रिराज' की एक कविता  जिसका शीर्षक है “लड़कियाँ”:

लड़कियाँ

तितलियों की तरह होती हैं,

रंग - बिरंगी, खूबसूरत सी।

मगर किसी के छूते ही

त्याग देती हैं अपने पंख

और वो तमाम रंग भी,

जो लोगों को आकर्षित करते हैं।

 

लड़कियाँ

चिड़ियों की तरह होती हैं,

चहचहाती , फुदकती हुई सी।

मगर किसी जाल में फंसते ही

भूल जाती हैं फुदकना

और चहचहाना भी,

जिसे सुनकर जाल बिछाए जाते हैं।

 

लड़कियाँ

खुशबुओं की तरह होती हैं,

महकती सी, बिखरती सी।

मगर किसी कैद में आते ही

छोड़ देती हैं महकना

और खुद को बिखेरना भी,

बस सिमट जाती हैं उस कैद में।