पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार अर्चना राय "खुराफ़ाती" की एक कविता जिसका
शीर्षक है “थोड़े तुम,
थोड़ी मैं”:
ठीक है,
तुम बने रहो ना
"लाइकोपॉर्सिकान एस्कुलेंटम"
सुर्ख लाल, सुंदर, चमकीले - से
रसभरे लाल
"टमाटर"
इतना बड़ा - सा
नाम
मानो
"धीरज" और "करुणा"
का अथाह सागर भरा
हो
मगर असलियत में
मन के प्रतिकूल
जरा - सा
कुछ हुआ नहीं
लेकिन वाजिब - सी
अनचाही
जिम्मेदारी का
जरा - सा दबाव
पड़ा नहीं
कि तुम फट पड़े
और बहा दिया
शिकायत व क्रोध
का दरिया
बेहिचक, बेतहाशा ।
और .....
मुझे बने रहने दो
"एलियम सैपा"
साधारण, गुलाबी - भूरे से
सख्त
"प्याज" की तरह
इतना छोटा - सा
नाम
जैसे
"अधीरता" से शुरू होते ही
"मनमानी" पर खत्म हो जाता हो
मगर वास्तव में
इस मनमानी और
अधीरता
की परत के नीचे
छुपी होती हैं
स्नेह, विश्वास व परवाह
की कई परतें
जो निभाएंगी
जिम्मेदारियां
अपने आखिरी दम तक
बेशक, बेलगाम ।