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कविता: सुनो ना...... (नीलम वन्दना, भोपाल, मध्य प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलम वन्दना की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सुनो ना......”:
 
 
मुझसे बात ना होने पर वो जो  उलझन सी होती थी ना कभी..... 
और फिर मैसेन्जर में कॉल करने को बोलना इश्क़ है।
 
कुछ सही कुछ गलत मेरा बड़बड़ाते जाना.....
और उसे शान्ति से सुन कर तुम्हारा चुप रह जाना इश्क है।
 
मेरे हज़ार मैसेजेज़ के बाद तुम्हारा एक छोटा सा प्यार सा कोई  रिप्लाई का आना......
और उसे देख मेरे आँखों में आंसूओ का आना इश्क़ हैं।
 
तुम कभी भी नहीं आओगे ये जानते हुये भी तुम्हारी मिन्नते करते जाना......
और बेसब्री व बेताबी से तेरा इन्तजार करना  इश्क़ है।