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कविता: रूठी कविता (ममता कुमारी, आसनसोल, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ममता कुमारी  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “रूठी कविता”:
 
अपने जीवन के सुंदर क्षणों को चुनकर
सबसे सुंदर भाव, शब्दों से कवि सजाता है कविता
घोषित कर देता है उम्दा रचनाओं में शीर्ष पर
मन और कागज दोनों पर,
फिसलती रेत सा समय निकल जाता है,
मन, कलम पर भ्रम।
रेगिस्तान के ग्रीष्म में नहीं मिलती शीतलता पथिक को,
कविता शीतल है और भाव तो कस्तूरी मृग है
कहां ठहरते कभी
रणबाकुरों सा जंग फहत करने को आतुर,
इन क्षणों में अंकित होती कविता
जूझती कविता,
संवारने को किसी के बेतरतीब इल्ज़ामों वाले नायाब मन को
कुदरत, फितरत गहरे संगी हैं
दोनों के लिए बनी है कविता,बदलने को मौसम
तब कवि मन चुन लेता है अपनी अधूरी, छूटी, खोई कोई निधि कोष से
पूर्ण होने के क्रम में, अवगत कराने यथार्थ से
ख़ारिज कर असंभव्यता,तत्पर हो उठती है रूठी कविता।