पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार अतुल पाठक "धैर्य" की एक करवाचौथ विशेष
कविता जिसका शीर्षक है “कशिश महताब जैसी ”:
कशिश तेरी महताब
जैसी,
महताब में नज़र तू
आने लगी।
इश्क और मुश्क
तुझसे दीवाना तेरा,
दिल की गली प्यार
की इक कली लगाने लगी।
संग तू है तो और
कोई नहीं मेरी हमराज़एतमन्ना,
तेरे होने से
वीरान दिल में रोशनाई आने लगी।
लाज़मी है चाँद का
गुमाँ टूटना,
आखिर मेरी चाँद
के आगे उसकी चमक फीकी पड़ने लगी।
जब से दो जिस्मों
में एक जान बसने लगी,
प्यार की दुनिया
आबाद होने लगी।