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कविता: तुम हो (संजय अग्रवाला, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार संजय "सागर" गर्ग की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तुम हो”:

तुम हो

तुम जो आज यहां हो
मेरा दिल खुशी से झूम रहा है,
तुम जो आज यहां हो
अकेलापन मेरे दिल से निकल गया है,
तुम जो आज यहां हो
दुःख दूर हो रहा है इस जीवन से,
तुम जो आज यहां हो
मैं अपना दिल खोलकर तुमसे प्यार करना चाहता हूं,
तुम जो आज यहां हो
मैंने आज तुम्हें अपने दिल में पा लिया,
तुम वैसे ही रहो
मेरे जीवन के सफर में
तुम युगों-युगों तक रहो
ऐसे ही जीवन साथी बनकर ।