Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: मेरे पास प्रिये तब आना (प्रतिभा सिंह, कोलकाता, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रतिभा सिंह की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मेरे पास प्रिये तब आना”:
    
 
है प्रेम नहीं उथला मेरा,
  इसमें सागर - सी गहराई।
     प्रिय हरदम साथ निभाऊंगा,
         हो वार्द्धक्य या तरुणाई।।१।।
 
जीवन के हर मुश्किल क्षण में,
   आऊंगा बनकर आस प्रिये।
       जब लगे अकेलापन तुमको,
           तब आना मेरे पास प्रिये।।२।।
 
जीवन भर साथ निभाने का,
  मैंने था वचन दिया तुमको।
     मर कर भी साथ निभाऊंगा,
       ना झूठ समझना प्रिय इसको।।३।।
 
मैं होने दूंगा कभी नहीं,
   किंचित दुख का आभास प्रिये।
      जब साथ छोड़ दे हर कोई,
         तब आना मेरे पास प्रिये।।४।।
 
तुमको ही प्रेम किया मैंने,
   तुम मेरी जीवन आशा हो।
      कर दिया पूर्ण जीवन जिसने,
         वह प्रेम पूर्ण अभिलाषा हो।।५।।
 
है मेरे अंतस में केवल,
  तेरी यादों का वास प्रिये।
     जब लगे अधूरी हो मुझ बिन,
        तब आना मेरे पास प्रिये।।६।।
 
हम इक दूजे के पूरक हैं
   दोनों को साथ निभाना है।
      बनकर इक - दूजे का संबल
         इस जग को प्रेम सिखाना है।।७।।
 
जब त्यागपूर्ण जीवन होगा,
  तब प्रेम बनेगा खास प्रिये।
     जब कभी पुकारूं मैं तुमको,
         तब आना मेरे पास प्रिये।।८।।