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लघुकथा: कहां है ईश्वर? (शमा जैन सिघंल, जोरहाट, आसाम)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार शमा जैन सिघंल की एक लघुकथा  जिसका शीर्षक है “कहां है ईश्वर?":

मां के गर्भ में ही हाथों की लकीरें बनने लगती है , वो भी तब जब गर्भ ४ माह का होता है ! इन महीन रेखाओं की सूचना DNA देता है ! ये रेखाएं दुनिया में किसी से नहीं मिलती यहां तक कि पैदा करने वाले मां - बाप से भी नहीं ! है ना कितनी विचित्र बात ! वो ईश्वर ही है जो सबको भिन्न बनता है , वहीं एक अद्वितीय शक्ति है ! इतनी सूक्ष्म रेखा का संसार में किसी से ना मिलना और जलने , कटने पर भी वापस अपने रूप में आ जाना किसी शक्ति की ओर इशारा करती है , जिसे हम देख नहीं सकते बस उसकी ताकत को महसूस कर सकते हैं ! शायद उसी का नाम ईश्वर है , जो संसार के कण- कम में वास करता है !