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कविता: जीवन (डॉ● महावीर प्रसाद जोशी, भीलवाड़ा, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ महावीर प्रसाद जोशी  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “जीवन”:

 
चोर चोरी करते हैं सम्पदा,
सदाशयता एक सुरक्षित धन है।
मृत्यु नहीं चुरा पाती ज़िन्दगी,
यदि जीवन में जीने का फन है।।
         कटु बोल बढ़ाते हैं कटुता,
          मृदु बोल मन का गुलसन है।
          बसंत नहीं होता विदा यहाँ से,
        जीवन होता सुवासित चमन है।।
दूरियाँ प्रेम घटा नहीं पाती,
धरा पर छाया हुआ गगन है।
मेघ बरसाते हैं बरसात को,
कराते नभ-धरा का मिलन है।।
         चिलचिलाती धूप झुलसाती तो,
         छाँह का प्रतीक निज भवन है।
         बहुत लागत आती है इसमें,
         वृक्ष की छाँह का होता मन है।।
खाली हाथ आना और जाना,
ज़िन्दगी का यही तो चलन है।
सीख लो प्रेम के ढाई अक्षर,
अमरत्व का यह सही फलन है।।
            जनहितकारी कर्म कर्ता का,
            मौत के उपरांत भी जीवन है।
        ताउम्र जिससे वह बंध नहीं पाया
         उसी से बंध जाने का बंधन है।।