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कविता: सर्दियों का मौसम आया (आदिवासी सुरेश मीणा, बांसवाड़ा , राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार आदिवासी सुरेश मीणा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “सर्दियों का मौसम आया”:

दिन को छोटा रातें लम्बी ले आया
ओसकी बूंदो से फिज़ाओ को महकाया
आओं मीलकर जुमो सर्दीयों मौसम आया।
 
सभी ऋतुओ में चहिता मौसम आया
अपनी गुलाबी ठंड से पूरे शहर पर छाया
आओं मिलकर जुमो सर्दियों का मौसम आया।
 
तेज़ अदरक वाली चाय पीने का मौसम आया
इस ठंडमें दिल नहीं करता कही बहार जानें का
आओ मिलकर जुमो सर्दियों का मौसम आया।
 
सर्द मौसम में पते पौधे गाने लगे है गाना
इतनी ठंड में बच्चे कहने लगे हमें स्कूल नही जाना
आओ मिलकर जुमो सर्दियों का मौसम आया।
 
बादलों में छिपे चाँद का पक्का दोस्त आया
धूप की अकड़ तोड़ दे ऐसी लहर ठंड की लाया
आओ मिलकर जुमो सर्दियों का मौसम आया।
 
रजाई कम्बल ओढ़ने के दिन आये देखो
इस बर्फिले मौसम में सबके हाल बेहाल हो गये
आओ मिलकर जुमो सर्दियों का मौसम आया।
 
नीले हरे गुलाबी पिले स्वेटर पहन कर आया
कड़कती ठंड में दाँतोको नृत्य करवाते हुए लाया
आओ मिलकर जुमो सर्दियों का मौसम आया।