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कविता: गौरवान्वित गौरव का परिचय (गौरव नागरा, जगाधरी, यमुना नगर, हरियाणा)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
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प्रलय का मैं आचरण,
अम्बार का अनंत मरण,
दीप्ति का विराट भेद,
चार युग का अखंड वेद,
स्थिरता का प्रथम पुजारी,
परिश्रम का हूं आज्ञाकारी,
जगती का अवसादित प्याला,
थके हुए राही की हाला,
हर मर्ज का हूं उपचार,
क्षण मे मचा दूँ हाहाकार,
गन्तव्य मेरा लासानी,
मिराज के नीचे पैशनी,
निशाचरों का हूँ मैं दीप,
समुद्र का हूँ गहरा सीप,
घोर साहित्य का पेशावर,
कवितज्ञ कहो या कहो शायर,
अंधे की आंखों की पूंजी,
विद्वान के ज्ञान की कुंजी,
इन सबका एक ही ज्ञाता,
गौरव, और वो जगत विधाता।