पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार घनश्याम कुमार की एक कविता जिसका
शीर्षक है “मेरे दिल में रहता है, मेरे जज़्बात समझता है”:
मैं तेरे आगे
बोलूं क्यों, मैं दिल का हाल खोलूँ क्यों,
तू मेरे दिल में
रहता है, मेरे जज्बात समझता है ।
छुपा कुछ नहीँ
तुझसे, मेरे अंदर और बाहर का,
तु जिस हाल में
रखता है, मेरे हालात समझता
है ॥
राह गर रोक ले
मुश्किल, और कोई द्वार नज़र ना आये तो,
दूर तक रोशनी का
नाम ना हो घना अँधेरा छाये तो,
थाम लेता है हाथ
मेरी, मेरे मुश्किलात समझता है ॥
तू मेरे दिल में
रहता है, मेरे जज्बात समझता है
मैं इक मामूली
बंदा हूँ, शिकवे
शिकायत करता हूँ,
मेरा मनचाहा ना
हो तो, सौ तोहमतें तुझपे धड़ता हूँ,
मेरी नादानी पे
ध्यान ना देता, अपनी संतान समझता है ॥
तू मेरे दिल में
रहता है, मेरे जज्बात समझता है ।
याद तेरी कृपा ना
रहती, भुले सभी एहसान हैं,
इच्छा पूरी ना हो
जब तक, तब तक तेरा ध्यान है,
तू फ़िर बख्श्ता
जाता है, मुझे भूल्लन्हार समझता है ॥
तू मेरे दिल में
रहता है, मेरे जज्बात समझता है ।