पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार ललिता पाण्डेय की एक कविता जिसका
शीर्षक है “मेरा श्रृंगार”:
उसने मुझे साजो - समान दिला दिया
मेरी क़लम फिर उससे छूट गई
मेरी तरूणाई आँखे फिर
अश्रुसागर में डूब गई।
मेरा श्रृंगार मेरी क़लम हैं
जिसे मंगाया था
श्रृंगार की ओट में
वो फिर भी छूट गई।
किसी दुकान से मौन हो
छुप जाती कहीं इन
चूड़ियों की खनक
या पायल की झनकार में।
अपने श्रृंगार में।