पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रिया पांडेय की एक कविता जिसका शीर्षक है “अब हो गई उम्र पचास की”:
आओ हम भी अब किसी का इंतजार करते है
और चाय पीते पीते हम दोनों कुछ बात करते है
अब ये उम्र भी हमारी देखो पचास के पार हो गई
अब बुढ़ापे का धीरे धीरे हम भी इस्तकबाल करते है
आखिर कौन वापस आयेगा हम दोनों को देखने यहां
अब खुद ही हम दोनों एक दूसरे की देखभाल करते है
अब तो अपने भी हमारे हमसे ही बहुत दूर जा चुके है
लेकिन आओ हम फिर से उन्हें एक फोन कॉल करते है
जो भी दिया है राम जी हम दोनों अब उसी में खुश रहे
बाकी बची हुई खुशियों में अब हम दोनों प्यार करते है
कुछ तुम भी सुनो हमारी और कुछ हम भी सुने तुम्हारी
बस ऐसे ही साथ मिल के हम ये ज़िन्दगी गुज़ार देते है
तुम हमारा सहारा बनके हमेशा मेरे साथ ही चलते रहो
हाथो मे हाथ एक दूजे का लेके हम ये सफर काट लेते हैं
अब इस उम्र के आखिरी पड़ाव में कोई हमारा नहीं रहा
अब हम ही सारे दुख सुख को संग मिल के बांट लेते है