पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार ऋतु गुप्ता की एक लघुकथा जिसका
शीर्षक है “वो
आंखें...":
आज शशि सुबह से ही बहुत उदास थी यूं तो उदासी ही उसके जीवन का हिस्सा बन चुकी थी लेकिन आज तो मानो उसे उदासी ने चारों तरफ से घेर लिया था ।
तभी डॉक्टर आते हैं और उन्हें समझाते हैं कि उनका बेटे के अंग दान करके वे किसी और की जान बचा सकते हैं उन्हें समझ नहीं आया कि क्या करें क्या ना करें।
बातों ही बातों में पता चलता है कि उस बच्चे को आंखें और दिल किसी बच्चे का अभी आठ महीने पहले ही मिले हैं जिससे वह देख पा रहा है और जीवित है ।
शशि कुछ कहती तो नहीं पर अहोई माता की व्रत की तैयारी में लग जाती है...