Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: गौरवशाली देश हमारा-भरा हुआ है गौरव (डॉ• विनय कुमार श्रीवास्तव, प्रतापगढ़ सिटी, उत्तर प्रदेश)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “डॉविनय कुमार श्रीवास्तव की एक कविता  जिसका शीर्षक है “गौरवशाली देश हमारा-भरा हुआ है गौरव”:

उठे कलम चले लेखनी, लिखी भारत गौरव।
इतिहास भरा पड़ा है, गौरव ही तो है गौरव।।
 
हम भारतवासी हैं सब, ये है गौरव की बात।
जन्में जहाँ राम कृष्ण, ये है गौरव की बात।।
 
धर्म सनातन सभ्यता, संस्कृति पे है गर्व हमें।
कृषि प्रधान देश है ये, किसानों पर गर्व हमें।।
 
गौतम बुद्ध महावीर, गुरु नानक जी हैं गौरव।
परमहंस विवेका नन्द, नेता सुभाष हैं गौरव।।
 
गंगा गोदावरी कावेरी, नर्मदा सरयू भी गौरव।
काशी मथुरा पुरी, अयोध्या हरिद्वार गौरव।।
 
झरने पहाड़ हिमगिरि, कश्मीर घाटी है गौरव।
प्राकृतिक सौन्दर्य, वन उपवन ऋतुएँ गौरव।।
 
स्वर्ण मंदिर लालकिला, जंतर मंतर है गौरव।
ताज महल क़ुतुब मीनार, झाँसी दुर्ग गौरव।।
 
शिवाजी राणा प्रताप, लक्ष्मीबाई हैं गौरव।
दुर्गावती पन्ना धाय, अहिल्याबाई हैं गौरव।।
 
तुलसी सूर कबीर, बिहारी प्रेमचंद हैं गौरव।
बच्चन नीरज भारती, फ़िराक वर्मन गौरव।।
 
सीता रुक्मिणी सावित्री, मीरा राधा गौरव।
सुभद्रा द्रौपती महादेवी, तीजनबाई गौरव।।
 
हिन्द महासागर गौरव, भाखड़ा भी गौरव।
वृन्दावन नैमिसारण, सीतामढ़ी सब गौरव।।
 
शहीद हमारा गौरव है, झंडा तिरंगा गौरव।
वेद पुराण ऋचायें गौरव, गौरव ही गौरव।।