पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “सुनीता कुमारी” की एक कविता जिसका शीर्षक है “अक्षय”:
क्षय और अक्षय ,
शाश्वत हैं, अविनासी हैं।
युगो युगो से,
प्रत्यक्षदर्शी भी हैं।
कहता होगा हँस हँस कर,
उसे सही जियो ना?
मैं तो अक्षय हूँ ,
तुम अपने जीवन का सोचो ना।
जीवन में सिमित समय हेतु ,
कुछ प्रयोजन हैं,
उसे पूरा करना ही मात्र,
फिर भी भुलावा में आकर ,
खो जाते हो जीवन भ्रम में।
जो भी मिला इस धरती पर,
एक एक कर धीरे धीरे ,
झोंक देते हैं सारा जीवन,
जो अक्षय हैं ,
सारी कोशिशे करो केवल तुम
अपना जीवन बचाने में,