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कविता: दरिंदे भी "कोरोना" से... (माधुरी मिश्रा, फरीदाबाद, हरियाणा)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “माधुरी मिश्रा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “दरिंदे भी "कोरोना" से...”:

 
ये ऊपर वाला भी,
बडा़ करिश्माई है!
"कोरोना" से ध्यान,
भटकाना था!
सो "काबुल" रच डाला!
 
पर ध्यान रहे!
"तुम" कहीं न भटक जाना!
दरिंदे भी "कोरोना" से
डर रहे!
 
मासूमों को मास्क,
पहन  कुचल  रहे!
 
पर याद रख !
ए ज़ालिम!
 
खून बहाकर!
तू कुछ भी न पाएगा!
 
तेरा मिटना तो,
तय है, समझ ले!
 
सब जगह से बचा!
तो कोरोना तुझे,
लील जाएगा!
 
बस ठहर ज़रा!
देख तमाशा!