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कविता: दिपावली (बिवेक कामी, कालचिनी, अलिपुरदुवार, पश्चिम बंगाल)


    पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “बिवेक कामी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “दिपावली”:

 
दीपो की पंक्ति है दिपावली का अर्थ
अंधकार को मिटाने में एक दीप है समर्थ
माता लक्ष्मी का होता है इस दिन वंदन
चौदह साल बाद घर लौटे थे इस दिन रघुकुल नंदन।
 
दिपावली का त्यौहार आया
साथ में खुशियों की बहार लाया
अंधेरे को दूर करने सभी ने घर पर
दीप जलाया है, देखो दिपावली आया है ‌
 
लेकर तुम मन में अंधेरा
घर पर दीप जलाकर तुम ने क्या पाया
दुसरो के जिवन मैं भर दो खुशहाली
यही है हमारी सच्ची दिपावली।
 
वनवास पुरा कर आए श्री राम
दीप जलाकर करें हम स्वागत है राम
अब हमें अपने कोध को भेजना है वनवास
करना है हमें दुसरो का सम्मान है राम।
 
दिपावली पर ऐसा दीपक जलाया जाएं
अज्ञानता का अन्धकार मिटाया जाएं
सबसे जिवन मैं खुशियां लाया जाएं
हर हदय से नफ़रत को मिटाया जाएं
इस बार हम सब ऐसे दिपावली मनाएं।