पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “तारावती सैनी” की एक लघुकथा जिसका शीर्षक है "पांच रुपया":
प्रतीक के पापा जब से आए थे तब से ही वह उनके पीछे पांच रुपए देने की मांग कर रहा था । लेकिन उसके पापा आते ही अपने किसी बहुत जरूर कार्य में व्यस्त हो गए और उन्होंने प्रतीक की बात पर काफी देर तक ध्यान नहीं दिया। आखिरकार जब प्रतीक ने बहुत ज्यादा जिद की तो उन्होंने अपने पेपर पटकते हुए कहा_ क्या हुआ प्रतीक मैं कोई बहुत जरूरी काम कर रहा हूं और तूने ये क्या रट लगा रखी है । तुझे पाँच रुपए क्यों चाहिए।
मां कहती थी न हमें गरीबों को खाना खिलाना चाहिए उनकी मदद करनी चाहिए ।
पर तुम उन चार पांच बच्चों को पांच रुपए में खाना कैसे खिलाओगे ।