लेखाशास्त्र (कक्षा 11 सेमेस्टर II) अध्याय 3: रेवामिल (Trial Balance)
प्रश्न 1. रेवामिल (Trial Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी निश्चित तिथि पर खातों की गणितीय शुद्धता की जांच करने के लिए बही-खाते (Ledger) के सभी खातों के डेबिट और क्रेडिट शेषों को लेकर जो विवरण या सूची तैयार की जाती है, उसे रेवामिल (Trial Balance) कहते हैं।
प्रश्न 2. रेवामिल की विशेषताएँ लिखो।
उत्तर: रेवामिल की विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
(क) रेवामिल बही-खाते का कोई खाता नहीं है। यह केवल विभिन्न खातों के शेषों का विवरण है।
(ख) चूँकि यह बही-खाते का अंग नहीं है, इसलिए इसे एक अलग कागज़ पर तैयार किया जाता है।
(ग) सभी खातों के शेषों को लेकर रेवामिल तैयार की जाती है। यह वास्तव में सभी खातों का सारांश है।
(घ) यह खातों की गणितीय शुद्धता की जाँच करने के लिए तैयार की जाती है।
(ङ) लेखा अवधि के अंत में संस्था के अंतिम लेखे (Final Accounts) रेवामिल के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
(च) रेवामिल तैयार करना अनिवार्य नहीं है; इसे केवल शुद्धता की जाँच के लिए बनाया जाता है।
प्रश्न 3. रेवामिल के उद्देश्य या उपयोगिता लिखो।
उत्तर: रेवामिल के उद्देश्य या उपयोगिता निम्नलिखित हैं –
(क) सभी लेन-देन दर्ज करने और शेष निकालने के बाद, रेवामिल तैयार करने से खातों की गणितीय शुद्धता की जाँच की जा सकती है।
(ख) इसमें सभी खातों के शेष सम्मिलित होते हैं, जिससे संस्था के सभी खातों का सारांश प्राप्त होता है और विभिन्न खातों की जानकारी आसानी से मिलती है।
(ग) रेवामिल के माध्यम से गलतियाँ व त्रुटियाँ पता चल सकती हैं और अंतिम लेखा तैयार करने से पहले उन्हें सुधारा जा सकता है।
(घ) सभी खातों के शेष एक साथ होने के कारण अंतिम लेखे तैयार करने में समय और श्रम की बचत होती है।
प्रश्न 4. रेवामिल तैयार करने की विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: रेवामिल तैयार करने की तीन विधियाँ होती हैं –
(क) कुल विधि (Total Method)
(ख) शेष विधि (Balance Method)
(ग) मिश्रित विधि (Mixed Method)
प्रश्न 5. शुद्ध रेवामिल (Net Trial Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: जब शेष विधि से रेवामिल तैयार की जाती है और सभी खातों के डेबिट व क्रेडिट शेषों को क्रमशः डेबिट और क्रेडिट कॉलम में लिखकर दोनों का योग बराबर आता है, तब इसे शुद्ध रेवामिल कहा जाता है।
प्रश्न 6. कुल रेवामिल (Total Trial Balance) किसे कहते हैं?
उत्तर: जब कुल विधि से रेवामिल तैयार की जाती है और प्रत्येक खाते के डेबिट व क्रेडिट पक्ष के योग को रेवामिल के डेबिट और क्रेडिट कॉलम में लिखा जाता है तथा दोनों का योग समान होता है, तब इसे कुल रेवामिल कहा जाता है।
प्रश्न 7. क्या रेवामिल बही-खाते का एक खाता है?
उत्तर: नहीं, रेवामिल बही-खाते का कोई खाता नहीं है। यह केवल विभिन्न खातों के शेषों का विवरण है और इसका उद्देश्य खातों की गणितीय शुद्धता की जाँच करना है।
रेवामिल बही-खाते का खाता नहीं है, इसके कारण –
(क) रूपरेखा: रेवामिल की रूपरेखा (format) खातों की रूपरेखा से भिन्न होती है।
(ख) अलग कागज़ पर तैयार: सभी खाते बही-खाते में लिखे जाते हैं, पर रेवामिल अलग कागज़ पर तैयार की जाती है।
(ग) अनिवार्यता: बही-खाते में खाता खोलना अनिवार्य है, लेकिन रेवामिल तैयार करना आवश्यक नहीं है। यदि शुद्धता पर कोई संदेह न हो तो इसे नहीं भी बनाया जा सकता।
(घ) शुद्धता की जाँच: बही-खाते से शुद्धता की जाँच संभव नहीं, पर रेवामिल से यह संभव है।
अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि रेवामिल कोई खाता नहीं बल्कि केवल एक विवरण है।
प्रश्न 8. क्या रेवामिल आवश्यक है?
उत्तर: रेवामिल खातों की गणितीय शुद्धता की जाँच के लिए बनाई जाती है। यदि यह मिल जाती है तो माना जाता है कि सभी लेन-देन दोहरी प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार सही दर्ज हुए हैं। परंतु यदि शुद्धता पर कोई संदेह नहीं है तो अंतिम लेखे बिना रेवामिल के भी बनाए जा सकते हैं।
वास्तव में, जब अनेक लेखाकार मिलकर कार्य करते हैं तो त्रुटियों की संभावना बनी रहती है, इसलिए अंतिम लेखे बनाने से पहले रेवामिल तैयार करना उचित होता है। अतः यह अनिवार्य नहीं होते हुए भी उपयोगी मानी जाती है।
प्रश्न 9. रेवामिल की सीमाएँ लिखो।
उत्तर: रेवामिल की सीमाएँ इस प्रकार हैं –
(क) इसे संस्था के लेखों की पूर्ण शुद्धता का प्रमाण नहीं माना जा सकता।
(ख) दोनों पक्ष बराबर होने पर भी कई गलतियाँ रह सकती हैं।
(ग) बिना रेवामिल के भी संस्था की वित्तीय स्थिति और परिणाम ज्ञात किए जा सकते हैं।
(घ) एकतरफा प्रविष्टि प्रणाली (Single Entry System) में रेवामिल तैयार नहीं की जा सकती।
प्रश्न 10. रेवामिल से कौन-कौन सी गलतियाँ पकड़ी जा सकती हैं?
उत्तर: आमतौर पर निम्नलिखित गलतियाँ रेवामिल में अंतर उत्पन्न करती हैं –
(क) मूल प्रविष्टि पुस्तिका (Journal) से बही-खाते में पोस्ट करने की गलती,
(ख) जोड़ या शेष निकालने की गलती,
(ग) रेवामिल में लिखने की गलती।
प्रश्न 11. रेवामिल से कौन-कौन सी गलतियाँ पकड़ी नहीं जा सकतीं?
उत्तर: निम्नलिखित प्रकार की गलतियाँ रेवामिल से नहीं पकड़ी जा सकतीं –
(क) छूट की गलती (Error of Omission),
(ख) कार्यात्मक गलती (Error of Commission),
(ग) प्रविष्टि की गलती (Error of Entry),
(घ) सिद्धांत की गलती (Error of Principle),
(ङ) पूरक या आत्म-संशोधक गलती (Compensating Error)।
प्रश्न 12. एक ऐसी गलती बताओ जो रेवामिल को प्रभावित नहीं करती।
उत्तर: छूट की गलती (Error of Omission)।
प्रश्न 13. अनिश्चित खाता (Suspense Account) क्या है? इसे क्यों बनाया जाता है?
उत्तर: जब किसी संस्था का कोई विशेष लेन-देन उपयुक्त जानकारी के अभाव में सही खाते में दर्ज नहीं किया जा सकता या जब खातों में हुई गलती अभी सुधरी नहीं है, तब अस्थायी रूप से जिस खाते का उपयोग किया जाता है उसे अनिश्चित खाता (Suspense Account) कहते हैं।
इसे निम्न कारणों से तैयार किया जाता है –
(क) जब किसी लेन-देन को आवश्यक जानकारी के अभाव में संबंधित खाते में दर्ज नहीं किया जा सकता, तब अस्थायी रूप से Suspense Account का प्रयोग किया जाता है।
(ख) यदि गलती के कारण रेवामिल नहीं मिल रही हो, तो अंतर की राशि अस्थायी रूप से Suspense Account में डालकर रेवामिल को बराबर किया जाता है।
प्रश्न 14. रिक्त स्थान भरें:
रेवामिल के दोनों पक्षों के अंतर की राशि जिस खाते में स्थानांतरित की जाती है, वह है ____________ ।
उत्तर: अनिश्चित खाता (Suspense Account)।

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