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गीत: आडम्बरो की बाढ़ (ओम प्रकाश सरगरा 'अंकुर', भीलवाड़ा , राजस्थान)

 


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार ओम प्रकाश सरगरा 'अंकुर' की एक गीत  जिसका शीर्षक है “आडम्बरो की बाढ़":

आडम्बरो की बाढ़ यहां, झूठ के सर ताज।

दृष्टि  लोभग्रस्त  हो,    खो  रही  है लाज ।।

 

   एकताअखण्डता के गीत थम गये

    भावना मे द्वेष के जंग लग गये ।

    पश्चिमी पॉखंड मे सभ्य रम गये

     जो गुरू थे जग के उनको चेले ठग गये ।।

 

आश्वासनो की डोर थाम,रो रहे है आज।

आडम्बरो की बाढ़, यहॉ झूठ के सर ताज। ।

 

    आदर्श,प्रेम और मूल्य रो रहे

      आदमी से आदमी,दूर हो रहे।

     व्यक्तिवाद ,शक्तिवाद ओर घात है

      फिर भी देश चल रहा ये ओर बात है़ ।।

 

बेसुरे से गान पर,बज रहे है साज ।

आडम्बरो की बाढ़ यहां, झूठ के सर ताज। ।

 

      वेद ओ कुरान देखो कर रहे क्रंदन

       शिष्टता के पॉव मे दृढ है बंधन ।

       पंथ मे बिखरे है अपने कंटको के छंद

       विषभरी सी हो गयी है बादलो की गंध।।

 

दीन-हीन ओ दलित पे गिर रही है गाज ।

आडम्बरो की बाढ़ यहां, झूठ के सर ताज। ।

 

     गीता के ज्ञान ओ विज्ञान पे चलो

     श्रेष्ठ कर्म करके पुण्य दीप से जलो।

      द्वेषता,कलुषता ओर राग से टलो

      वात-पात,यत्र-तत्र फूलो ओर फलो ।।

 

सत्यता ओर दृढ़ता से कर लो सारे काज।

आडम्बरो की बाढ़ यहां, झूठ के सर ताज। ।