पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस के कपूर "श्री
हंस" की एक कविता जिसका शीर्षक है “कैसा हो जीवन हमारा":
इक उम्र बीत जाती है
कोई रिश्ता बनाने में।
जिंदगी होती है खर्च
एक संबंध कमाने में।।
अनमोल धरोहर होती है
रिश्तों की जमा पूंजी।
मत लुटा देना ये धन
यूँ ही अनजाने में।।
ईमान होना चाहिये।
सवेंदनायों का हममें नहीं
शमशान होना चाहिये।।
कोई रखता परिंदों के लिये
बंदूक तो कोई पानी।
जान लो जीवन में पाने को
इक मुकाम होना चाहिये।।
मेहरबान होना चाहिये।
भावनाओं से पूर्णआदमी को
दयावान होना चाहिये।।
मत छू सको आसमाँ ऊंचा
तो कोई बात नहीं।
बस आदमी को एक अच्छा
इन्सान होना चाहिये।।