पीत-पट तेरो, खूबसूरती की है मिसाल ,
कारै -'कारै रूप पै यो ग़ज़ब ही ढावै है ।
जा पै पीरे-कारै फूल माला में ग्रथित होय,
ब्रजमोहना की देखो शान ही बढ़ावै है ।
श्वेत पिछवाई भी उभार रही सुषमा को ,
ओरे- कोरे चितराम मन को लुभावै है ।
नंद जू के लाल को सिंगार देखि नयो-नयो,
कवि रविकंत हिव अति उमगावै है ।।
कर्णफूल आपके सुहाने अति लग रहे,
माणिकों का हार श्रीजी ग़ज़ब ही ढावै है ।
तिलक-पछेवड़ी भी चारचाँद लगा रही ,
पाग हरी-हरी छटा खूब छिटकावै है ।
गात आपको तो प्रभु, सोभा को सदन मानो ,
छाई है हरीतिमा जो सबको लुभावै है ।
अमित है विभा मेरे स्याम के वदन-श्री की ,
यथा गुन नाम बनमाली जी कहावै है ।।
ए रे मेरे ग्वाल, मेरो तो से ये सवाल,
इती संपदा के होते तेरी सादगी मिसाल है ।
तू है दीन-प्रतिपाल 'राखो' सबको दयाल,
तेरो रुतबो है बड़ो अरु हिरदै बिसाल है ।
तेरी पाग में है शान,ये मेवाड़ की है आन,
तू है दानिन को सील, प्यारै परम कृपाल है ।।
तेरे सब हैं मुरीद, तू है सबको मुफ़ीद,
तुझे ध्यावैं सब लोग,नारी,वृद्ध अरु बाल हैं ।।