Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: कुछ खो गया है (निशा ठाकुर, लूकशान, नगराकाटा, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार निशा ठाकुर की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कुछ खो गया है":

भागदौड़ की जिंदगी से,
कुछ क्षण  निकाल कर,
पहुंची अपने गांव,
कई वर्षों के बाद,
बदल रहा था मेरा गांव,
लुप्त हो गई  पेड़ो के छांव ,
ना शुद्ध नदी का पानी था,
ना थी उड़ती वो रेत,
कहाँ  वो धान गेहूं वाले,
लहराते हुए खेत,
हलों  में न था बैल बंधा,
ना ही दुआरे पे गाय,
अगली पीढ़ी को कैसे,
गांव हम दिखाएं,
नहीं रखता कोई घड़े में,
शुद्ध ठंडा पानी
नहीं सेकती चूल्हे पर,
रोटियां अब जनानी,
आंगन में ना रखता कोई,
खटिया वो चारपाई की,
नहीं बिछती  जमीन पर,
बिस्तर वो चटाई की,
नहीं लगता है अब भईया,
मेरे गांव में मेला,
नहीं बिकते  ताजे अमरूद,
ना पानी पूरी का ठेला,
आम के बगीचे  में,
सुनी  पड़ी है डाली,
बच्चो की हंसी को,
तरस रहा वो माली,
छोड़ रहा हर कोई
गांव के संस्कार
पुरखों  की वो परंपरा
सारे तिज-त्योहार