पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार नीलम वन्दना की एक कविता जिसका
शीर्षक है “असामान्य से ये दिन”:
कई बार चुभते है
असामान्य से ये दिन
उत्सवों की भीड़
और इतनी तैय्यारी
जाने क्यूं
ऐसा लगता है
सब बेवजह खुद को
बहलाने में जुटे है
जीना नहीं चाहते
फिर भी जिये जा रहे हैं
ज़िन्दगी के इस बोझ को ढोये जा रहे है।
बस यूं ही...
असामान्य से ये दिन
उत्सवों की भीड़
और इतनी तैय्यारी
जाने क्यूं
ऐसा लगता है
सब बेवजह खुद को
बहलाने में जुटे है
जीना नहीं चाहते
फिर भी जिये जा रहे हैं
ज़िन्दगी के इस बोझ को ढोये जा रहे है।
बस यूं ही...