पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस के कपूर "श्री
हंस" की एक कविता जिसका शीर्षक है “कुछ ऐसा करो कि जीवन यादों की सौगात बन जाये":
सफर में मुश्किलें चाहे
हज़ार क्यों न हों।
रास्तों में तकलीफों की
भरमार क्यों न हो।।
धारा के विपरीत ही तो
है चलना परीक्षा।
फिर चाहे कठनाईयों की
ही बौछार क्यों न हो।।
एक दिन तेरा भी जीवन
अतीत हो जायेगा।
होंगें कर्म अच्छे तो
यादों
का गीत हो जायेगा।।
रहेगा घात प्रतिघात ही
जीवन में सदा।
बस मिलकर जमीं में मिट्टी
सा प्रतीत हो जायेगा।।
बनोगेअच्छे तो एक अनमोल
सौगात हो जायोगे।
बाद जीवन के भी तुम यादों
की बारात हो जायोगे।।
रहेगा जब जीवन में नफरतों
का कुछ घाल मेल।
जान लो तुम फिर एक भूली
बिसरी बात हो जायोगे।।