पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार राघवेंद्र सिंह की एक कविता जिसका शीर्षक है “किन्तु वह कौन थी?”:
मन था कौतुक किन्तु विभा मौन थी?
पांव में थे छागल विस्मृति से उदित।
वह प्रभा थी या रात अमावस की थी।
थी अलख वह किन्तु स्वर क्लांत था।
रव थे वे स्वतंत्र और हृदय शांत था।
कोई पल्लव और गाछ की चाह में।
उस दुरूह राह पर कारवां साथ था।
पट खुले नेत्र के और अश्रु हाथ था।
सर्व कारणों से वह भी मुक्त थी।
था अस्तित्व उसका किन्तु वह मौन थी।
थी वह शाश्वत किन्तु वह कौन थी?