पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मोहन लाल सिंह की एक ग़ज़ल:
बेटियाँ ,बेटियाँ बेटियाँ
हर जगह चिख रही बेटियाँ ।।
कबतलक ददॅ दरिंदगी का शिकार ,
बनेगी बेटियाँ?
कहीं बलात्कार, कहीं लव जेहाद, तो कहीं
जलती है बेटियाँ ।।
आज यही बेटियाँ धरा गगन आशमा की शान है ।
यही तो देश के जज्बा और गौरव बन अरमान है ।।
कबतलक दुःख उत्पीड़न सहेंगी बेटियाँ ।
ऐ कलम बन आवाज
यदि काम आए तू "बेटियाँ "