पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार विक्की चंदेल “चंदेल साहिब” का एक गीत जिसका
शीर्षक है “गोविंद कृष्ण मुरारी”:
हे गोविंद कृष्ण मुरारी, तोरे चरणों का पुजारी।
कैसे हो तेरी पूजा, कान्हा विनती करुॅ॑ तुम्हारी।।
_________
सुना प्रसंग राम चन्द्र का, सबरी तूने तारी।
तेरी राह को तकते तकते, बीती उमर है सारी।।
हुई धन्यभाग भीलनी, पूजा करी, पुकारी ।
हे गोविन्द कृष्ण मुरारी,,,,,, ।।
_________
द्वापर युग में सुना किशन जी, कुब्जा विपदा मारी।
कह कर उसको सुंदरी_सुंदरी, काया मोहक कर डारी ।।
धन्य हो कुब्जा तोरो, श्रृंगार करो बनवारी
हे गोविन्द कृष्ण मुरारी,,,,,,,,।।
––––––––––––
हे गोविंद कृष्ण मुरारी, तोरे चरणों का पुजारी।
कैसे हो तेरी पूजा, कान्हा विनती करुॅ॑ तुम्हारी।।
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सुना प्रसंग राम चन्द्र का, सबरी तूने तारी।
तेरी राह को तकते तकते, बीती उमर है सारी।।
हुई धन्यभाग भीलनी, पूजा करी, पुकारी ।
हे गोविन्द कृष्ण मुरारी,,,,,, ।।
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द्वापर युग में सुना किशन जी, कुब्जा विपदा मारी।
कह कर उसको सुंदरी_सुंदरी, काया मोहक कर डारी ।।
धन्य हो कुब्जा तोरो, श्रृंगार करो बनवारी
हे गोविन्द कृष्ण मुरारी,,,,,,,,।।
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हे गोविंद कृष्ण मुरारी, तोरे चरणों का पुजारी।
कैसे हो तेरी पूजा, कान्हा विनती करुॅ॑ तुम्हारी।।