पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार अनामिका सिंह "करम" की एक कविता जिसका
शीर्षक है “एक इश्क़”:
सुनो....
एक इश्क़ तुम्हारे
नाम का भेज रही हूँ
पसंद आए तो स्वीकार कर लेना और
जो पसंद ना भी आए तो सिर्फ़ मेरे लिए
सुन रहे हो न....
सिर्फ़ मेरे लिए
रख लेना और मेरे जाने के
बाद चाहो तो अग्नि में प्रज्वलित या गंगा में
प्रवाहित कर देना
मैने भी....
अब सोचना
तुम्हारी तरह बंद कर दिया है
अब बस जीने के लिए..मैं जी रही हूँ और
जीना भी क्या....?
वो तो तभी छोड़
दिया जब से तुमने मेरा
हाथ छोड़ा..जिंदगी के इन आख़िरी लम्हों
में मै उन यादों को
ताज़ा कर रही
हूँ....
तुम्हारे साथ,वक़्त मिले तो खोलकर देखना
उन लम्हों को जिसमे हम तुम साथ थे,आज
वो सारे किस्से ख़त्म
कर रही हूँ.....
ज़िंदगी को अब
तुम्हारे नज़रों से देख,इस
दुनिया से अलविदा ले रही हूँ,मैं तुम्हारे ही
दिए इस टुकड़े में
जा रही
हूँ........।
सुनो....
पसंद आए तो स्वीकार कर लेना और
जो पसंद ना भी आए तो सिर्फ़ मेरे लिए
बाद चाहो तो अग्नि में प्रज्वलित या गंगा में
प्रवाहित कर देना
अब बस जीने के लिए..मैं जी रही हूँ और
जीना भी क्या....?
हाथ छोड़ा..जिंदगी के इन आख़िरी लम्हों
में मै उन यादों को
उन लम्हों को जिसमे हम तुम साथ थे,आज
वो सारे किस्से ख़त्म
दुनिया से अलविदा ले रही हूँ,मैं तुम्हारे ही
दिए इस टुकड़े में