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कविता: माँ (अमित कुमार बिजनौरी, स्योहारा बिजनौर, उत्तर प्रदेश)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अमित कुमार बिजनौरी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “माँ”:

 
माँ तेरे चरणों में जन्नत है ।
तू रब्ब  से मांगी हूँ  मन्नत है ।
जब दाँत नहीं थे दूध पिलाया
उठना बैठना चलना फिरना
उँगली पकड़ कर तूने घुमाया
और बनी तू प्रथम गुरू मैया
बहुत उपकार तेरे है मैया
अनगनित तूने कष्ट उठायें
तूने मुझ पर  आशीष बरसायें
गम की बदली मुझपर बरसी ,
रब्ब के आगे हाथ जोड़े माँगी दुआएं ।
सदा अपनी आँखों में आँसू छिपाएं ।
दोंनो हाथों से मेरे जीवन में ,
खुशियाँ देने वाली ।
तू बनी सवाली
माँ तू कितनी भोली
ममता की तू टोली
फिर भी तू दुखयारी
तेरी प्रीत का समझा न कोई
जबकि तूने प्रीत है बोई
छुप छुप कर तू बहुत रोईं
फिर भी तूने प्यार लुटाया ।