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कविता: आखिर कब तक होता रहेगा बेटियों पर अत्याचार (रमनदीप कौर, लुधियाना, पंजाब)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रमनदीप कौर की एक कविता  जिसका शीर्षक है “आखिर कब तक होता रहेगा बेटियों पर अत्याचार”:


आखिर कब तक होता रहेगा बेटियों पर अत्याचार?

आखिर कब तक बेटियो को बनना पढ़ेगा दरिंदो का शिकार?

कभी होती है मासूम मनीषा तो कभी होती है मासूम निर्भया

जिनका किया जाता है सामूहिक बलात्कार ।

यह भी तो होती है किसी के घर का श्रृंगार

आखिर क्यों होती है इनकी इज्ज़त तार- तार

आखिर क्यों किया जाता है इनकी आत्मा पर वार

आखिर क्यों नहीं दिया जाता इन्हें भी सम्मान के साथ जीने का अधिकार?

वो मासूम मनीषा पर क्या बीती होगी

जब इं दरिंदो ने उसकी इज़्ज़त लूटी होगी

कितनी चीकी होगी चिलाई होगी

ना जाने कितनी बार अपनी इज्ज़त को बचाने की गुहार लगाई होगी।

पर इं दरिंदो पर उसकी गुहार का कोई ना हुआ असर।

वो चिलाए ना इस लिए उसकी जीवा पर किया वार

वो भागे ना इस लिए पीठ पर भी किया वार।

फिर बांध कर उसे किया उसकी इज्जत के साथ खिलवाड़।

तड़पती हुई,दर्द को सहार्ती हुई २९ सितंबर को यह जीवन की जंग गई हार।

अब सभ को मिलकर लगानी होगी गुहार

नहीं होने देंगे इं दरिंदो को फरार

इं दरिंदो को देनी चाहिए फांसी से संहार।

तभी कहलाएगी न्यायपूर्वक सरकार........