पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार डॉ● कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव की एक कविता जिसका शीर्षक है “लौ का रंग”:
दीये ने चिराग़ के लौ का रंग बदलते देखा।
सागर ने लहरों को, हर बार पलटते देखा।
खुद को उपवास रख, साँपों को दूध लावा,
दीये ने चिराग़ के लौ का रंग बदलते देखा ,,,
आँखों ने हर बार आँखों का पानी उतरते देखा।
जहर पिलाने आदमी को, आदमी द्वारा गिलासों में,
दीये ने चिराग़ के लौ का रंग बदलते देखा ,,,