Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: साँवरी हूँ मैं (श्वेता कुमारी, धनबाद, झारखंड)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार श्वेता कुमारी की एक कविता  जिसका शीर्षक है “साँवरी हूँ मैं”: 

कृष्ण - सा रंग,कृष्ण के संग
बावरी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
 
घनानंद के प्रेम के पीर पर
बलिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
 
र्दुबुद्धि से उत्पन्न उसके बीज का
संहारकारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
 
कदंब की अनोखी डाली - सी
चमत्कारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
 
प्रकृति की नैसर्गिक छटा - सी
मनोहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
 
संपूर्ण जगत में प्रेम की
संचारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
 
मानव की मानवीयता का
प्रतिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।