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कविता: हमें जीवन में क्या तलाशना है ? (रविकान्त सनाढ्य, भीलवाड़ा, राजस्थान)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार रविकान्त सनाढ्य की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हमें जीवन में क्या  तलाशना है ? ”:

अगर तलाशना है
जीवन में कुछ
तो प्रेम  तलाशिए !
 
वरना यह जीवन हो जाएगा
शुष्क मरुस्थल !
 
अपने भीतर के आनंद को तलाशिए,
 
दूसरों को आह्लाद देने
की विधियाँ तलाशिए !
 
कितने सुन्दर   रंगो मे
खिलता है वन में पलाश !
 
उसकी रंगीनियों से कीजिए
उमंग की तलाश !
 
हताशा को करिए विदा
पैदा कीजिए आशा का प्रकाश !
 
हैवानियत का तभी होगा नाश
जब इंसान को इंसान समझ
 
करे उनमें मानवता की तलाश !
संवेदनाएँ तलाशिए !
 
चैन और सुक़ून तलाशिए ।
 
स्वयंप्रकाश रूप धरिए
हे प्रकाश के अमृतपुत्र ,
 
जीवन में निहित अखूट
संभावनाओं को तलाशिए !
 
आपकी यह तलाश जीवन को
चीन्हेगी ।
 
मानवता को उमंगित करेगी !