पश्चिम बंगाल
के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार अनुपमा प्रधान की एक कविता जिसका
शीर्षक है “भूख की आग”:
गरीबों को पता है भूख की आग,
अभाव ही शुरूआत
और अभाव ही अंत।
चाहते हैं वो
मिले उन्हें भरपेट खाना,
पर नही जुटा पाते
है अन्न का एक दाना।
चाहते है मिटा
पाए भूख की आग,
पर रह जाते हैं
हाथ उनके बस भूख की आग।
सोचते हैं कभी तो
मिलेगी उनको सुख - शांती,
पर हाथ आता है
सिर्फ दुनिया की बेरूखी - अशांति।
चाहते है भविष्य
में उनकी जिंदगी में फैले उजियारा,
पर रह जाते हैं
थामें अंधयारा।
सोचते हैं जीते - जी बहुत कुछ कर
दिखाएँगे,
दुख - दर्द को किसी तरह
जीत जाएंगे।
पर हाय रे भूख की
आग,
ले जाती हैं
उनकों बनाके राख।
गरीबों को पता है भूख की आग,