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कविता: आओ प्यार की ज्योत जलाएं (डॉ. मीना कुमारी परिहार, पटना, बिहार)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “डॉ. मीना कुमारी परिहार की एक कविता  जिसका शीर्षक है “आओ प्यार की ज्योत जलाएं”: 

आओ मिलकर प्यार के ज्योत जलाएं
नफ़रत के अंधेरे को हम मिटाएं
त्याग दें आज हम सारे अहंकार को
चलो आज मन के विकार को हटाएं
सम्पूर्ण संसार है अपना
सारे हैं अपने न कोई पराया
फिर क्यों लगा मन में
भेद-भाव का रोग
हम सब मिल भेद-भाव को मिटाएं
सबको प्यार से गले लगाएं
दुश्मनी की दीवार हटाएं
नफ़रत  को हम दिल  से मिटाएं
आओ प्यार के ज्योत जलाएं
मानव सेवा है उत्तम सबसे
मानवता से होगा जग उज्जवल
मानव की सेवा की खातिर
एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा
आओ मिलकर प्यार के हम ज्योत जलाएं
नफ़रत के अंधेरे को हम दूर हटाएं