में दूसमान से नहीं डरता
भारत का जवान हूं मैं
रेगिस्तान की धूप हूं मैं
सियाचिन का बर्फ हूं मैं
मरूस्थल के गर्मी में
ठंड का अहसास हूं मैं
जनवरी के मौसम में
गर्म का अहसास हूं मैं
में दूसमान से नहीं डरता
भारत का जवान हूं मैं।
सिमा में रहता हूं मैं
बर्फ़ में कई दिनों रहकर
ज़िन्दा निकला हूं मैं
सिने में अपने इच्छाओं
दबाकर भारत के लिए
आगे बढ़ता हूं मैं
लिए कांधों पर राइफल
भारत मां की रक्षा करता हूं मैं
और कोई नहीं भारत का जवान हूं मैं।
कोई तेल नहीं
भारत मां के सामने
दिया जलाया हूं मैं
मेरे होली में कोई रंग नहीं
भारत की मीट्टी जो रंगता हूं
मेरे हर ईद का चांद
भारत मां के चरणों में जाता है
मेरे लिए हर साल
राखी लिफाफे में जो आता है
हर एक त्योहार हंस
कर मनाता हूं
भारत का जवान जो हूं।
मिट्टी से मैं लिफट लेता हूं
पिता की छाया माथे पर
हवा का झोंका लाया है
बारिश के बूंदें पत्नी
के आसूं बनकर आया है
राइफल से लिपट कर
दोस्तों को याद करता हूं
और कोई नहीं
भारत का जवान हूं मैं।
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