पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “कुमारी दीपा” की एक कविता जिसका शीर्षक है “एक नारी है अद्भुत रचना”:
एक नारी है अद्भुत रचना
न जाने क्यूं तीरस्कार हुई ?
बच्चों की है भाग्य बनी।
कितनो की थी लाज बनी
बांधी राखी उस डोरी की
जो कितने की फौलाद बनी।
फिर भी नहीं गई वह समझी
ना जाने फिर कितने अपमान सही।
आज यहां नोचे जाते हैं,
चुपचाप बिना आवाज किए।
एक चोला है नारी का
जिनमें ना जाने कितने किरदार छुपे
एक अनुरागी की स्वभाव सिद्धि
मैं स्वामी की प्राण प्रिय।
बन चली वो रणचंडी
काली दुर्गा या हो वो
झांसी की रानी सबने
अपने रूप लिए जब समय
आ गया था भारी।
चित्तौड़गढ़ के जौहर कुंड में कूद जाती है पद्मिनी।
आप समझ आती है कितनी शक्तिशाली होती है यह नारी।
ना जाने फिर कितनी बार तिरस्कार हुई।