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कविता: तेरे दिल की अलमारी... (माधुरी मिश्रा, फरीदाबाद, हरियाणा)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “माधुरी मिश्रा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “तेरे दिल की अलमारी...”:

 
तेरे पास कड़छी भी है
और  कड़ाही  भी
सब्जी भी मसाले भी,
कड़वी  मिर्च  और
मीठी गुड़ चीनी भी.
 
कलम और कंप्यूटर भी,
सुई और तलवार भी
तब तू इस्तेमाल कर रही,
जिसकी जब जहां जरूरत है.
 
तेरे  दिल की अलमारी में,
सीता भी है और गीता भी,
तुलसी भी,सरस्वती भी
तो लक्ष्मी भी
दुर्गा काली और चंडी भी.
 
तब तू वो रूप धारण कर ले
जिसकी जब जहाँ जरूरत हो.