पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “बी आकाश राव” की एक कविता जिसका शीर्षक है “सिलीगुड़ी”:
इस शहर में इंसानों से ऊंचे रहकर
अविरल जागता रहता है पहाड़।
और नदियाँ
अपनी मज़बूत गोद में
बालू के साथ बहा लाती है पत्थर।
मैंने इसी शहर में हर बरस
बादल को घिरते देखा है।
कई भाषाओं और संस्कृतियों
को आपस में घुलते देखा है।
नहीं जानते इसके नाम का मतलब।
सिलीगुड़ी का मतलब
अलग सा है सबके लिए।
आपका चरित्र बन जाये।
तब एहसास होता है
कि मुझमें कहीं छिपा है मेरा शहर।
उस मुस्कान को जानता हूँ
जो तुम्हारे चेहरे पर आती है
मेरे शहर की तसवीर बनकर।
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