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कविता: मेरी जान हैं तिरंगा (डॉ. मेधा सक्सेना, फरीदाबाद, हरियाणा)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “डॉ. मेधा सक्सेना की एक कविता  जिसका शीर्षक है “मेरी जान हैं तिरंगा”:
 

विश्व ताज तिरंगा,मेरी शान तिरंगा,
मेरा मान तिरंगा, आन - बान तिरंगा,
ये मेरी जान है तिरंगा, मेरी जान ये तिरंगा,
 
सबसे प्यारा हिंदुस्तान,
इसपे वारूँ अपनी जान,
दुश्मन जो कोई देखे तो,
पल में ले लूँ उसकी जान
मेरे भारत सा प्यारा, कोई नहीं है,
फिरदौस हमारा, ऐसा कोई नहीं है,
 
ये मेरी जान  तिरंगा, ये मेरी जान तिरंगा
मेरी जान है तिरंगा, ये मेरी जान तिरंगा,
 
 
तिरंगा ही पहचान है मेरी ,
मेरा सम्मान तिरंगा,
लहराए शान से आसमां पर ,
मेरा अरमान तिरंगा,
मेरे भारत सा न्यारा, कोई नहीं है,
चमकता सितारा, कोई नही हैं,
 
ये मेरी जान  तिरंगा, ये मेरी जान तिरंगा
मेरी जान है तिरंगा, ये मेरी जान तिरंगा
 
करते सलाम हम तिरंगे को,
करते हैं इसकी पूजा,
कुर्बान अपनी जान करें इस पर,
इस जैसा कोई न दूजा,
सूरज चन्दा हमारा, ऐसा कोई नहीं है,
जश्न ए बहारां, कोई नही हैं,
 
ये मेरी जान  तिरंगा, ये मेरी जान तिरंगा
मेरी जान है तिरंगा, ये मेरी जान तिरंगा