Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: कुछ ख़ास (क्षमता कुमारी गुप्ता, बागडोगरा, पश्चिम बंगाल)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार “क्षमता कुमारी गुप्ता की एक कविता  जिसका शीर्षक है “कुछ ख़ास”:

 
नादान  सी थी उम्र, चंचलता से भरा मन
हवाओं में उड़ती परिंदों सा खिलखिलाना,
ओर फिर सहसा तुम्हे पहली नज़र में देख कर थम जाना,
पल भर में बसा लिया तुमको हृदय ने लेकर कुछ आस,
ना जाने कैसा था वो एहसास, जो था कुछ ख़ास।
 
चाहत की मेरी दुनिया तुमसे ही है, तुमसे ही रहेगी,
जानती हूं जुबां ये बात कभी ना कहेगी,
पथ में साथी चलने को तैयार, बहुत है आज,
पर दिल की ख्वाहिश तुम्हीं हो ख़ास,
पल क्षीण भी लगता है सालो सा, तुम बीन आज,
बिना बोले सुन पाते तुम काश,
ना जाने कैसा है ये एहसास, जो है कुछ ख़ास।
 
कभी चाहत का एहसास तुम भी दिला दो,
खो गई हूं मै, मुझको मुझसे ही मिला दो,
सपने सजाए है वर्षों से, वह सच होंगे या नहीं ये तो बता दो,
अगर भूल है मेरी चाहत, तो कोई तो सजा दो,
अधूरे चाहत को मंज़िल मिले, ऎसा कोई रास्ता तो बता दो,
नादान हूं मै, तुम्हारी समझदारी से,
इस चाहत को कोई तो सिला दो,
इंतजार अब बहुत हुई, थमी सी है जिंदगी,
अब इसे तुम्हीं चला दो,
जिंदगी रोशनी से भर जाए, कोई ऐसा दिया जला दो,
पत्ते - पत्ते, जर्रे - जर्रे में हो तुम मेरे पास,
कहां तक कहूं शब्द बढ़ते जा रहे हैं,
इसलिए रोक रही हूं कलम मै आज,
काश ताउम्र के लिए थाम लो तुम मेरा हाथ,
कितना प्यारा होगा वो एहसास, जो होगा कुछ ख़ास।।